तेरे भुज दण्ड प्रचंड त्रिलोक में रखियो लाज मरियाद मेरी बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। मनोजवम् मारुततुल्यवेगम् जितेन्द्रियम् बुद्धिमताम् वरिष्ठम्। तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना। लंकेश्वर भये सब जग जाना॥ ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्॥ हनुमान गायत्री मंत्र का अर्थ https://a-listdirectory.com/listings13228235/the-hanuman-chalisa-diaries