शिवजी की पूजा मूर्ति तथा शिवलिंग दोनों रूपों में की जाती है शिव के गले में नाग देवता विराजमान करते हैं तथा उनके हाथों में डमरू और त्रिशूल होता है. नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।। अर्थ: https://shivchalisas.com